बुद्ध शब्द बोध से बना है।
बोध यानी परिचय। ज्ञान।
किसका?
स्वयं का।
क्यों?
क्योंकि हमारे भीतर अतुलनीय ख़ज़ाना छिपा है। बुद्ध आत्मबोध की एक अवस्था है। बुद्ध और महावीर किसी अन्य लोक से नहीं आते। वो हमसब के ही मध्य से प्रकट होते हैं। यदि तुम इस सूत्र को समझ जाओ तो तुम आज ही बुद्ध और महावीर हो जाओगे।
बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें।
जयगुरुदेव।



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